NMC-PCI रिश्वत घोटाला: भारत की मेडिकल शिक्षा प्रणाली पर सवाल और जेपी नड्डा की जवाबदेही

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भारत की मेडिकल शिक्षा प्रणाली एक बार फिर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) में सामने आए रिश्वत घोटाले ने चिकित्सा शिक्षा की विश्वसनीयता पर गहरे सवाल उठाए हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 30 जून 2025 को इस मामले में एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की, जिसमें 35 व्यक्तियों, जिसमें NMC निरीक्षक, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी, PCI प्रमुख, और एक स्व-घोषित संत शामिल हैं, पर रिश्वतखोरी और निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर का आरोप है। कांग्रेस ने इस घोटाले के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को सीधे जिम्मेदार ठहराया है, जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। यह ब्लॉग इस घोटाले के घटनाक्रम, आरोपों, CBI की जाँच, और इसके चिकित्सा शिक्षा पर प्रभाव का विश्लेषण करता है।

घोटाले की पृष्ठभूमि

CBI ने 30 जून 2025 को एक बड़े भ्रष्टाचार रैकेट का खुलासा किया, जो देशभर के 23 से अधिक निजी मेडिकल और फार्मेसी कॉलेजों से जुड़ा है। इन कॉलेजों पर 3 से 5 करोड़ रुपये की रिश्वत देकर मेडिकल और फार्मेसी सीटों की मान्यता प्राप्त करने का आरोप है। यह घोटाला उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और गुजरात जैसे राज्यों में फैला हुआ है। प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7, 8, 9, 10, और 12 का उल्लेख है।

प्रमुख आरोप

फर्जी फैकल्टी और मरीज: कई मेडिकल कॉलेजों ने निरीक्षण के दौरान "भूतिया प्रोफेसर" और नकली मरीज दिखाए। कुछ मामलों में, एक ही मरीज को एक दिन में दो अलग-अलग कॉलेजों में दिखाया गया ताकि बुनियादी ढांचे की कमी को छिपाया जा सके।

बायोमेट्रिक छेड़छाड़: कॉलेजों ने फर्जी फिंगरप्रिंट और दस्तावेजों का उपयोग किया। निरीक्षण के दौरान बायोमेट्रिक स्कैनर और CCTV फुटेज में हेरफेर की गई ताकि संकाय और छात्रों की उपस्थिति को गलत तरीके से दिखाया जा सके।

PCI में भ्रष्टाचार: PCI अध्यक्ष मोंटू पटेल पर आरोप है कि उन्होंने फार्मेसी कॉलेजों को मान्यता देने के लिए मोटी रिश्वत ली। यह रिश्वतखोरी फार्मेसी शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रही है।

CBI की प्रारंभिक जाँच

CBI की छापेमारी में कई महत्वपूर्ण सबूत बरामद हुए:

नकद और डिजिटल सबूत: लाखों रुपये नकद, संदिग्ध मोबाइल डेटा, USB डिवाइस, और फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्र।

कोड भाषा: जाँच में "Inspection bypass" और "Safe list" जैसे कोड शब्दों का उपयोग सामने आया, जो मेडिकल कॉलेज एजेंटों, एक स्वयंभू बाबा, और PCI अधिकारियों के बीच बातचीत में इस्तेमाल हुए।

प्रमुख व्यक्तियों का उल्लेख: प्राथमिकी में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के चांसलर डीपी सिंह, इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया, और तेलंगाना के फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ट्रस्टी फ्र. जोसेफ कोम्मारेड्डी का नाम शामिल है।

कांग्रेस का तीखा हमला

7 जुलाई 2025 को AICC मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. ओनिका मेहरोत्रा ने स्वास्थ्य मंत्रालय और जेपी नड्डा पर निशाना साधा:

जेपी नड्डा की जवाबदेही: मेहरोत्रा ने कहा, "यह घोटाला जेपी नड्डा के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत पनपा। क्या पीएम मोदी उनसे इस्तीफा माँगेंगे, या यह मौन सहमति का मामला है?" उन्होंने इसे व्यापम घोटाले से भी बड़ा करार दिया。

प्रणालीगत भ्रष्टाचार: कांग्रेस ने दावा किया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने निरीक्षण से पहले कॉलेजों की गोपनीय फाइलें बिचौलियों तक पहुँचाईं। यह भ्रष्टाचार NMC और PCI की पूरी प्रणाली में व्याप्त है।

प्रधानमंत्री पर सवाल: मेहरोत्रा ने पीएम मोदी के "ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा" के नारे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह अब "खाऊँगा भी, खिलवाऊँगा भी" में बदल गया है।

चिकित्सा शिक्षा पर प्रभाव

इस घोटाले का चिकित्सा शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है:

छात्रों का भविष्य संकट में: जिन कॉलेजों को फर्जी आधार पर मान्यता दी गई, वहाँ पढ़ रहे हजारों छात्रों की डिग्रियाँ कानूनी रूप से अमान्य हो सकती हैं। इससे उनके करियर पर गंभीर खतरा है।

मेडिकल क्षेत्र में भरोसे की कमी: NEET और मेडिकल शिक्षा की पारदर्शिता पर जनता का भरोसा टूट रहा है। यह घोटाला चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विदेशी चिकित्सा बोर्ड भारत की मेडिकल शिक्षा की मान्यता पर सवाल उठा सकते हैं, जिससे भारतीय डॉक्टरों की वैश्विक स्वीकार्यता प्रभावित हो सकती है।

NMC और PCI की प्रतिक्रिया

ब्लैकलिस्टिंग: NMC ने मुरशिदाबाद मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख और अन्य मूल्यांकनकर्ताओं को रिश्वत लेने के लिए ब्लैकलिस्ट किया।

सीटों का रद्दीकरण: 2025-26 शैक्षणिक वर्ष के लिए प्रभावित कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई।

जाँच का आश्वासन: NMC ने भ्रष्टाचार के प्रति "शून्य सहनशीलता" की नीति की बात कही, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय की चुप्पी सवाल उठा रही है।

जेपी नड्डा की जवाबदेही?

कांग्रेस ने नड्डा पर सीधा हमला बोला है, क्योंकि यह घोटाला उनके स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन हुआ। प्रमुख सवाल हैं:

क्या नड्डा अनजान थे? यदि हाँ, तो यह मंत्रालय की निगरानी में कमी को दर्शाता है।

क्या मिलीभगत थी? कांग्रेस का दावा है कि यह भ्रष्टाचार "नीचे से ऊपर तक" फैला हुआ है।

प्रधानमंत्री की भूमिका: पीएम मोदी की चुप्पी और नड्डा को बचाने की कथित कोशिशें विपक्ष के लिए हमले का आधार बन रही हैं।

विपक्ष की माँगें

जेपी नड्डा का इस्तीफा: स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा अध्यक्ष के रूप में उनकी दोहरी भूमिका पर सवाल।

स्वतंत्र न्यायिक जाँच: घोटाले की निष्पक्ष और गहन जाँच की माँग।

मेडिकल कॉलेजों की पुनर्जाँच: सभी मान्यता प्राप्त कॉलेजों की पारदर्शी जाँच।

पीएम की जवाबदेही: कांग्रेस ने पीएम मोदी से स्पष्ट रुख की माँग की है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

यह घोटाला 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है। X पर ट्रेंड्स (#NMCPciScam, #NaddaResign) और यूजर्स की प्रतिक्रियाएँ दर्शाती हैं कि जनता में आक्रोश बढ़ रहा है। यह घोटाला व्यापम घोटाले की तरह ही राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन सकता है। भाजपा की चुप्पी और नड्डा की ओर से कोई बयान न आना कांग्रेस के "प्रणालीगत भ्रष्टाचार" के दावों को बल दे रहा है।

निष्कर्ष

NMC-PCI रिश्वत घोटाला भारत की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करता है। फर्जी फैकल्टी, बायोमेट्रिक छेड़छाड़, और रिश्वतखोरी ने न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को खतरे में डाला है, बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य को भी अनिश्चितता में डाल दिया है। जेपी नड्डा पर कांग्रेस के आरोप और CBI की जाँच ने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है। यदि इस जाँच को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पूरा नहीं किया गया, तो यह चिकित्सा शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है। सरकार को तत्काल सुधार और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।

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